भारतीय अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन की सफल अंतरिक्ष यात्रा के बाद धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं। उनके लौटने से न केवल उनके परिवार में खुशी की लहर है बल्कि पूरा देश गौरव से भर उठा है। ये मिशन उनके लिए तो ऐतिहासिक रहा ही साथ ही देश के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन गया है।
अक्षरधाम में सांस्कृतिक नौका विहार के ज़रिए अद्भुत प्रस्तुति
दिल्ली स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में उनकी वापसी को खास बनाने के लिए एक अनोखा सांस्कृतिक आयोजन किया गया। इसमें सांस्कृतिक नौका विहार के ज़रिए अंतरिक्ष यात्रा को इतिहास से जोड़ते हुए आज तक की वैज्ञानिक प्रगति को जीवंत रूप में दिखाया गया। यह प्रस्तुति दर्शकों को भारत की वैदिक परंपरा से लेकर आधुनिक विज्ञान तक की यात्रा पर ले गई।
वैदिक ज्ञान से लेकर अंतरिक्ष यान तक भारत की निरंतर यात्रा
क्या आप जानते हैं कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा की जड़ें हमारी प्राचीन संस्कृति में ही हैं? हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने ताड़पत्रों पर तारों की चाल और ब्रह्मांड की संरचना का वर्णन किया था। आज वही खोज वैज्ञानिक रूप से अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा की जा रही है। शुभांशु की यह यात्रा इस निरंतरता की एक आधुनिक कड़ी है।
फ्लोरिडा से भरी थी उड़ान और किया अनोखा प्रयोग
शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा से SpaceX मिशन के लिए उड़ान भरी थी। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचे शुभांशु, वहां पहुंचने वाले पहले भारतीय वायुसेना ग्रुप कैप्टन बने। उन्होंने अंतरिक्ष में 7 सफल वैज्ञानिक प्रयोग किए जिनमें मेथी और मूंग की खेती शामिल थी। यह प्रयोग भविष्य की अंतरिक्ष खेती की दिशा में अहम माने जा रहे हैं।
राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में भारत की नई छलांग
शुभांशु शुक्ला, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यान से उड़ान भरी थी और ‘सारे जहाँ से अच्छा’ कहकर हर भारतीय का दिल जीत लिया था। अब शुभांशु की सफलता से भारत की अंतरिक्ष योजनाओं को और बल मिला है। इससे भविष्य में देश के वाणिज्यिक स्पेस स्टेशन की संभावना भी बढ़ी है।