Delhi Demolition: तीन साल में 5158 घर जमींदोज! झुग्गियों पर चला बुलडोजर, सवालों के घेरे में दिल्ली मॉडल

By: MPLive Team

On: Tuesday, July 22, 2025 12:06 PM

Delhi Demolition: तीन साल में 5158 घर जमींदोज! झुग्गियों पर चला बुलडोजर, सवालों के घेरे में दिल्ली मॉडल
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Delhi Demolition: राज्यसभा सांसद और आरजेडी नेता मनोज झा ने सरकार से एक बड़ा सवाल पूछा कि पिछले तीन वर्षों में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी DDA ने कितनी झुग्गियों को हटाया और कितने लोग या परिवार बेघर हुए। इस पर आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जो जवाब दिया वह चौंकाने वाला था। मंत्रालय ने बताया कि बीते तीन वर्षों में कुल 5 जगहों से अतिक्रमण हटाया गया है और इस कारण 5158 परिवारों को हटाया गया।

कितनों को मिला दोबारा घर और कौन रह गया पीछे

सरकार ने यह भी जानकारी दी कि हटाए गए कुल परिवारों में से 3403 परिवारों को दोबारा बसाया गया है। यह पुनर्वास दिल्ली स्लम और झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास नीति 2015 के तहत किया गया। इन परिवारों को आधुनिक सुविधाओं वाले घर दिए गए हैं। इसका मतलब है कि लगभग 1755 परिवार ऐसे भी हैं जो अभी भी पुनर्वास की प्रतीक्षा में हैं या शायद योग्य ही नहीं पाए गए।

Delhi Demolition: तीन साल में 5158 घर जमींदोज! झुग्गियों पर चला बुलडोजर, सवालों के घेरे में दिल्ली मॉडल

कहां-कहां बसे लोग और कैसे बदली ज़िंदगी

मंत्रालय के मुताबिक, गोविंदपुरी (कालकाजी) के 1896 परिवारों को कालकाजी एक्सटेंशन में बसाया गया। अशोक विहार के जेलरवाला बाग के 1087 परिवारों को स्वाभिमान अपार्टमेंट में घर मिला। रामपुरा के गोल्डन पार्क के 271 और माता जय कौर की 46 झुग्गी वालों को भी वहीं बसाया गया। साथ ही RML के पास कालीबाड़ी झुग्गी क्लस्टर के 103 परिवारों को नरेला के सेक्टर G-7 और G-8 में घर दिया गया।

क्या सिर्फ घर देना ही काफी था?

मंत्रालय ने बताया कि DDA को पुनर्वास में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। झुग्गी से पक्के फ्लैट में जाना, सामूहिक जीवन जीना और साझा सुविधाओं जैसे लिफ्ट और कॉमन एरिया को समझना और अपनाना लोगों के लिए कठिन था। इन सभी बदलावों को आसान बनाने के लिए NGO की मदद से ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए ताकि लोग नए माहौल में घुल मिल सकें।

तकनीक से पारदर्शिता और शिकायतों की व्यवस्था

DDA ने एक ऑनलाइन सिस्टम भी तैयार किया है जिससे झुग्गियों की पहचान कर उन्हें सर्वे किया जाता है और पुनर्वास की योजना बनाई जाती है। ट्रांजैक्शन एडवाइजर नियुक्त किए गए हैं जो डीपीआर और व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करते हैं। लाभार्थियों की पात्रता जांच, अलॉटमेंट लेटर, भुगतान की रसीदें और शिकायतों के लिए भी ऑनलाइन व्यवस्था बनाई गई है। साथ ही, घर लेने के लिए बैंक से लोन की सुविधा भी दी गई है।

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