मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला अदालत ने एक 27 वर्षीय गोद लिए गए बेटे को अपनी मां की हत्या कर शव को बाथरूम में दफनाने के मामले में मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने सुनाया, जिन्होंने फैसला सुनाते समय श्रीरामचरितमानस समेत चार प्रमुख धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए मां के महत्व को समझाया। लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव के अनुसार, यह घटना 8 मई 2024 को हुई थी, जब रेलवे कॉलोनी, श्योपुर निवासी दीपक पचौरी ने अपनी मां उषा देवी को सीढ़ियों से नीचे धक्का देकर, रॉड से हमला कर और साड़ी से गला घोंटकर मार डाला। इसके बाद उसने शव को घर के बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया और ऊपर से सीमेंट डालकर बंद कर दिया।
मां के गायब होने की शिकायत कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
हत्या के बाद दीपक ने पुलिस में अपनी मां के गायब होने की शिकायत दर्ज करवाई, ताकि किसी को उस पर शक न हो। हालांकि जांच के दौरान पुलिस को दीपक की बातों में विरोधाभास मिला, जिसके बाद सख्ती से पूछताछ करने पर उसने अपने अपराध को कबूल कर लिया। दीपक के इशारे पर पुलिस ने बाथरूम में खुदाई कर उषा देवी का शव बरामद किया। बता दें कि उषा देवी और उनके पति भुवनेश पचौरी ने 2004 में अपने बुढ़ापे का सहारा बनाने के लिए दीपक को ग्वालियर के अनाथालय से गोद लिया था, तब उसकी उम्र करीब छह साल थी। दोनों ने उसे पढ़ाया-लिखाया और पाल-पोसकर बड़ा किया, लेकिन दीपक ने इसी मां की हत्या कर दी।
शेयर बाजार में गंवाई पिता की एफडी की रकम
भुवनेश पचौरी की 2021 में मृत्यु हो जाने के बाद दीपक बुरी संगत में पड़ गया और पिता के नाम पर की गई 16 लाख रुपये की एफडी तोड़कर गलत शौकों और शेयर बाजार में गंवा दी। वहीं, उषा देवी के नाम पर बैंक में 32 लाख रुपये की एफडी थी, जिसमें दीपक को नॉमिनी बनाया गया था। जांच में सामने आया कि दीपक ने इस रकम को पाने के लालच में अपनी मां की हत्या की थी। उसने सोचा कि मां के मरने के बाद उसे यह पूरी राशि मिल जाएगी और इसी लालच में उसने मां को मौत के घाट उतार दिया।
धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख कर अदालत ने सुनाया फैसला
फैसला सुनाते समय अदालत ने श्रीरामचरितमानस का हवाला देते हुए कहा, “सुनहु माता यह सुत बड़भागी, पितु बचन प्रेमु मातु अनुरागी। जे माता पितु मन भावा, तिन्ह कर करम सुफल सब भाई।” अर्थात वह पुत्र सौभाग्यशाली है, जो माता-पिता के वचनों को प्रेमपूर्वक मानता है और उन्हें प्रसन्न रखता है। गुरु ग्रंथ साहिब में कहा गया है, “जो अपने माता-पिता की सेवा करता है, वही अपने कुल का रक्षक और सच्चा योद्धा होता है।” कुरान में सुरह अल-इसरा आयत 23 में लिखा है कि “अपने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो, यदि वे बुढ़ापे में तुम्हारे साथ हों, तो उन्हें ‘उफ’ तक न कहो और सम्मानपूर्वक बात करो।” बाइबल में लिखा है कि “माता-पिता का अपमान करना मृत्यु दंड योग्य अपराध है।” अदालत ने कहा कि जिसने अपने पालन-पोषण करने वाली मां की हत्या कर दी, वह किसी भी प्रकार की दया का पात्र नहीं है। ऐसे मामलों में समाज में गलत संदेश न जाए, इसलिए इस अपराध के लिए फांसी की सजा ही उचित है।