1300 से ज्यादा घायल, 527 शहीद: फिर भी झुका नहीं भारत, करगिल में रचा गया पराक्रम का इतिहास

By: MPLive Team

On: Saturday, July 26, 2025 8:22 AM

1300 से ज्यादा घायल, 527 शहीद: फिर भी झुका नहीं भारत, करगिल में रचा गया पराक्रम का इतिहास
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हर साल 26 जुलाई को हम मनाते हैं कारगिल विजय दिवस, जो हमें याद दिलाता है भारतीय सैनिकों की अदम्य वीरता, बलिदान और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम का। वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में एक कठिन युद्ध हुआ था, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान की हर चाल को नाकाम करते हुए विजय हासिल की थी। इस युद्ध में करीब 527 वीर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर किए और 1300 से अधिक घायल हुए। यह युद्ध भारतीय सेना के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत लड़ा गया, जिसने भारतीय सैनिकों को उनकी निडरता और देशभक्ति के लिए अमर कर दिया।

कारगिल युद्ध की शुरुआत और इसकी अवधि

कारगिल युद्ध मई 1999 में शुरू होकर जुलाई तक चला। यह युद्ध तब छिड़ा जब पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थित आतंकवादी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर कश्मीर के कर्गिल जिले में घुसपैठ करने लगे। ठंडी सर्दियों के बाद बर्फ पिघलने पर भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में कुछ कमज़ोरी दिखाई देने लगी थी, जिसके चलते पाकिस्तान ने यह घुसपैठ की योजना बनाई। स्थानीय चरवाहों ने मई 1999 में भारतीय सेना को सूचित किया कि कर्गिल के ड्रास, बाटलिक और मुश्कोह घाटी जैसे इलाकों में संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं। शुरुआत में इसको एक छोटी सी घुसपैठ समझा गया, लेकिन बाद में पता चला कि यह पाकिस्तान की साजिश थी जो बड़े पैमाने पर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश थी।

ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर: विजय की गाथा

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, वहीं भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के माध्यम से दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया। युद्ध कड़ाके की ठंड और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में लड़ा गया, जहां सैनिकों के लिए सांस लेना भी चुनौती था। पाकिस्तान की फौज ऊंचे पहाड़ों से भारतीय जवानों को निशाना बना रही थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने हार नहीं मानी। उनकी हिम्मत, साहस और देशभक्ति ने हर मुश्किल को पार किया और पाकिस्तान को हार माननी पड़ी। ऑपरेशन विजय भारतीय सेना की साहसिक सफलता का एक उदाहरण बन गया, जिसने देश के नाम एक सुनहरी विजय प्रदान की।

वीरों की अमर गाथा: देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

कारगिल युद्ध में ऐसे कई बहादुर योद्धा हुए जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। कप्तान विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय जैसे नाम आज हर भारतीय के दिल में गर्व से लिए जाते हैं। इन वीरों ने हिमालय की बर्फीली चोटियों पर शत्रु से लड़ते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना मातृभूमि की रक्षा की। उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। कारगिल विजय दिवस हमें याद दिलाता है कि आजादी की कीमत क्या होती है और देश की सेवा के लिए कितनी निष्ठा और साहस की जरूरत होती है। यह दिन सभी भारतीयों के लिए सम्मान और कृतज्ञता का अवसर है।

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