मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज, 28 जुलाई से शुरू हो गया है, जो 8 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस बार सरकार को कटघरे में खड़ा करने की पूरी तैयारी कर ली है। वहीं भाजपा ने भी हर सवाल का जवाब तथ्यों के साथ देने की बात कही है। सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष जनहित से जुड़े कई बड़े मुद्दों को सदन में उठाने जा रहा है।
कांग्रेस का रणनीतिक हमला: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आदिवासी मुद्दे होंगे केंद्र में
रविवार शाम कांग्रेस विधायक दल की बैठक भोपाल के होटल पलाश में हुई, जिसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सभी विधायकों के साथ चर्चा की। बैठक में तय हुआ कि कांग्रेस सरकार को मुख्य रूप से राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार, आदिवासियों की ज़मीन से बेदखली, बेरोजगारी और भर्ती घोटालों जैसे मामलों पर घेरेगी।
उमंग सिंघार ने कहा, “हम सदन में जनहित की आवाज को मजबूती से उठाएंगे। सरकार ने जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए। फर्जी मुकदमे बनाए जा रहे हैं और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। हम इन सब मुद्दों को लेकर जनता की आवाज बनकर सामने आएंगे।”
भाजपा सरकार पर कांग्रेस के तीखे आरोप, जवाब देने को तैयार सत्ता पक्ष
कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार जनमुद्दों से भाग रही है और केवल ध्यान भटकाने की राजनीति कर रही है। उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार घोटालों पर कार्रवाई करने के बजाय जनता के असली मुद्दों से नजरें चुरा रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि कांग्रेस के सभी विधायक डटकर और निर्भय होकर सदन में जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
वहीं भाजपा की ओर से कहा गया है कि विपक्ष के हर सवाल का जवाब तथ्यों और आंकड़ों के साथ दिया जाएगा। पार्टी का कहना है कि सरकार कानून व्यवस्था, प्रशासनिक मुद्दों और राज्य में किए गए विकास कार्यों की जानकारी सदन में रखेगी।
विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्थाओं का लिया जायजा, तैयार है सदन
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर विधानसभा परिसर का निरीक्षण किया और सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सत्र के दौरान सभी आवश्यक व्यवस्थाएं दुरुस्त रहें ताकि चर्चा सुचारू रूप से चल सके।
इस बार का सत्र खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि एक ओर विपक्ष आक्रामक मुद्रा में है, तो दूसरी ओर सत्ता पक्ष भी खुद को पूरी तरह से तैयार बता रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि सदन में बहस के दौरान किन मुद्दों पर ज्यादा जोर दिया जाता है और किसके तर्क जनता को ज्यादा प्रभावित करते हैं। कुल मिलाकर आगामी दिन मध्यप्रदेश की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम साबित हो सकते हैं।