कोच्चि में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की असली पहचान उसकी “भारतीयता” में है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “India is Bharat” कहना सही है लेकिन भारत को “India” में अनुवाद करना गलत है। उन्होंने कहा कि भारत एक विशेष संज्ञा है जिसे बदलना उसकी आत्मा को बदलना होगा।
ग़ोपाळ को ‘Cow Herd’ नहीं कहते, भारत को ‘India’ क्यों?
भागवत ने एक रोचक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी का नाम गोपाल हो तो हम अंग्रेजी में उसका अर्थ “Cow Herd” नहीं बताते। हम उसका नाम गोपाल ही रखते हैं। उसी तरह भारत को भारत ही कहना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक भारत अपनी पहचान नहीं बनाए रखेगा तब तक वह सम्मान और सुरक्षा नहीं पा सकेगा।
विकास की असली परिभाषा क्या है?
शिक्षा और विकास पर बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि विकास सिर्फ नकल करना नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्कस में हाथी फुटबॉल खेलते हैं और बंदर साइकिल चलाते हैं लेकिन उन्हें हम विकसित नहीं कहते। क्योंकि वे इंसानों की नकल कर रहे हैं। असली विकास तब होता है जब कोई अपनी मौलिकता में श्रेष्ठ बनता है।
भारतीय शिक्षा में हो भारतीयता की आत्मा
भागवत ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में भारतीयता होनी चाहिए। भारतीय शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबें नहीं बल्कि हमारी सोच, व्यवहार और आत्मबल से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि हमें पहले समझना होगा कि “भारत क्या है?” और “शिक्षा क्या है?” जब तक यह समझ नहीं आएगी तब तक हम आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे।
जंगल का शेर बनो, सर्कस का नहीं
आरएसएस प्रमुख ने एक और उदाहरण देते हुए कहा कि जंगल में शेर का सम्मान होता है लेकिन सर्कस में शेर से कोई डरता नहीं है। उसी प्रकार भारत को भी अपनी स्वतंत्र पहचान बनानी होगी और अपने मूल्यों को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा रहेगा तभी वह शक्तिशाली बन पाएगा।
July 28, 2025