कुबेरेश्वर धाम में मची भगदड़, भीड़ और गर्मी ने ली दो महिलाओं की जान, यज्ञ से पहले मातम

By: MPLive Team

On: Tuesday, August 5, 2025 4:08 PM

कुबेरेश्वर धाम में मची भगदड़, भीड़ और गर्मी ने ली दो महिलाओं की जान, यज्ञ से पहले मातम
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मध्य प्रदेश के सीहोर जिले स्थित कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार, 5 अगस्त को भारी भीड़ और गर्मी के चलते दो महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा 6 अगस्त से निकाली जाने वाली भव्य कांवड़ यात्रा में भाग लेने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां एकत्रित हुए थे। 4 अगस्त की शाम से ही यहां भक्तों का तांता लग गया था, लेकिन भीषण गर्मी और भारी भीड़ के कारण स्थिति बेकाबू हो गई।

गर्मी और अव्यवस्था बनी मौत का कारण

मंगलवार दोपहर को कुबेरेश्वर धाम परिसर में भीड़ लगातार बढ़ती गई। श्रद्धा और आस्था से उमड़े भक्तों की भीड़ सेवण नदी घाट से लेकर मंदिर तक फैल गई। इस दौरान उमस और तापमान का स्तर काफी बढ़ गया, जिससे कई लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। खासकर कुछ महिला श्रद्धालुओं को चक्कर और घबराहट जैसी समस्याएं होने लगीं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन दुर्भाग्यवश दो महिलाओं की जान नहीं बचाई जा सकी। मृतक महिलाओं की पहचान अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है और न ही पुलिस द्वारा कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है।

कुबेरेश्वर धाम में मची भगदड़, भीड़ और गर्मी ने ली दो महिलाओं की जान, यज्ञ से पहले मातम

अस्पताल में भर्ती कई श्रद्धालु, दो की हालत गंभीर

मौके पर मची अफरा-तफरी और मौसम की मार की वजह से कई श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई। जानकारी के अनुसार, दो अन्य महिलाएं भी गंभीर स्थिति में हैं, जिन्हें अस्पताल में विशेष देखरेख में रखा गया है। इसके अलावा 8 से 10 अन्य श्रद्धालु थकावट, घबराहट और निम्न रक्तचाप की समस्या से जूझते हुए जिला अस्पताल पहुंचे हैं। चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि भीड़ और गर्मी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

प्रशासन पर उठे सवाल, सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा जरूरी

इस दुखद हादसे ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि प्रशासन और पुलिस का कहना है कि वे सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर सतर्क हैं, लेकिन यह घटना दिखाती है कि जमीनी स्तर पर इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। भारी भीड़ के बीच तापमान और मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों के लिए पहले से ठोस व्यवस्था की आवश्यकता थी। अब यह जरूरी हो गया है कि भविष्य में इस प्रकार के बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए व्यापक सुरक्षा, स्वास्थ्य और आपातकालीन व्यवस्थाएं की जाएं ताकि श्रद्धालुओं की जान जोखिम में न पड़े।

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