भारत ने अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े जोश और उमंग के साथ मनाया। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परंपरागत ‘ऐट होम’ समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया। इस भव्य आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख तथा विभिन्न देशों के राजदूत उपस्थित रहे। यह समारोह भारत की एकता, संस्कृति और आतिथ्य का जीवंत उदाहरण बना। स्वतंत्रता दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह हमें उस बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है जिसने हमें आज़ादी दिलाई।
राष्ट्रपति ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि
स्वतंत्रता दिवस से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारी बारिश के बावजूद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। इस अवसर पर वायुसेना की दो महिला अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर देश के वीर जवानों को सलामी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ भी इस गंभीर और भावुक क्षण के साक्षी बने। यह दृश्य भारत के उन वीरों के प्रति श्रद्धा और आभार का प्रतीक था, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन और ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 12वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत ही विकसित भारत की नींव है। उनके अनुसार, आज़ादी का मतलब केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि हम दूसरों पर निर्भर रहने की मानसिकता से बाहर आएं और अपनी ताकत खुद विकसित करें, ताकि कोई भी हमारी स्वतंत्रता को चुनौती न दे सके। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की भी घोषणा की, जिसका नाम भगवान श्रीकृष्ण के पौराणिक शस्त्र से प्रेरित है। इस मिशन का उद्देश्य 2035 तक भारत की सैन्य शक्ति और रक्षा प्रणाली को और अधिक मज़बूत बनाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मिशन देश को हर खतरे का तुरंत और प्रभावी ढंग से जवाब देने में सक्षम बनाएगा।
राष्ट्रपति का संदेश और विकसित भारत का संकल्प
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत तेज़ी से आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा, “1947 में हमने गरीबी और चुनौतियों से घिरा भारत पाया था, लेकिन आज देश ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।” राष्ट्रपति ने यह विश्वास जताया कि 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने खड़ा होगा। उनका संदेश केवल प्रेरणा ही नहीं, बल्कि उस लक्ष्य की ओर देशवासियों को एकजुट करने वाला था, जिसमें प्रत्येक नागरिक का योगदान आवश्यक है। इस तरह 79वें स्वतंत्रता दिवस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत की असली शक्ति उसकी एकता, आत्मनिर्भरता और देशभक्ति में निहित है।