अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (RInfra) के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। कंपनी ने बुधवार को जानकारी दी कि उसे अरावली प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 526 करोड़ रुपये का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड मिला है। दरअसल, साल 2018 में अरावली पावर ने रिलायंस इंफ्रा का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया था, जिस पर कंपनी ने आपत्ति जताते हुए मामले को आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल में ले जाया। कंपनी का आरोप था कि यह टर्मिनेशन अनुचित था और कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का उल्लंघन करते हुए किया गया। लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार ट्रिब्यूनल ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया।
मामला क्या था?
साल 2018 में अरावली पावर ने रिलायंस इंफ्रा पर अनुबंध उल्लंघन का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया और कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय आर्बिट्रेशन समिति के पास गया। सुनवाई के बाद बहुमत से यह निर्णय आया कि कॉन्ट्रैक्ट का टर्मिनेशन गलत था। ट्रिब्यूनल ने रिलायंस इंफ्रा को 419 करोड़ रुपये का मूलधन, 5 करोड़ रुपये की लागत, 149 करोड़ रुपये का ब्याज और भुगतान की वास्तविक तारीख तक मूलधन पर ब्याज देने का आदेश दिया। इस फैसले से न सिर्फ कंपनी को आर्थिक राहत मिली, बल्कि लंबे समय से चल रहा विवाद भी समाप्त हो गया।
पिछले साल का मामला भी जुड़ा
गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में अरावली पावर को भी रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ 600 करोड़ रुपये का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड मिला था। उस समय दिल्ली हाई कोर्ट ने 1 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करते हुए रिलायंस इंफ्रा से जवाब मांगा था। अरावली पावर का आरोप था कि रिलायंस इंफ्रा ने अनुबंध का पालन नहीं किया और इसीलिए उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई। अब ताज़ा फैसले में समिति ने अरावली पावर को रिलायंस इंफ्रा को भुगतान करने का आदेश देकर स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है।
मुश्किल समय में राहत
अनिल अंबानी इन दिनों 17,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले को लेकर मुश्किलों में घिरे हुए हैं। हाल ही में ईडी ने उनकी कंपनी से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी और उन्हें पूछताछ के लिए भी बुलाया गया था। इसके अलावा, सेबी ने भी यस बैंक में निवेश से जुड़े आरोपों पर उनके सेटलमेंट प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में यह 526 करोड़ रुपये का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड कंपनी के लिए राहत लेकर आया है। इस फैसले से न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी बल्कि निवेशकों का भरोसा भी वापस लौटने की उम्मीद है।