यमुना में जहर घुला पानी! प्रदूषण से तबाही की ओर यमुना, बैक्टीरिया की सीमा 4000 गुना

By: MPLive Team

On: Saturday, July 19, 2025 11:29 AM

यमुना में जहर घुला पानी! प्रदूषण से तबाही की ओर यमुना, बैक्टीरिया की सीमा 4000 गुना
Google News
Follow Us
---Advertisement---

दिल्ली में मानसून की वजह से हवा की गुणवत्ता में थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन यमुना नदी की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, नदी की गुणवत्ता जून के मुकाबले जुलाई में और खराब हो गई है। जगह-जगह सफेद झाग और दुर्गंध इसका प्रमाण हैं। रिपोर्ट के आंकड़े चिंताजनक हैं, खासकर बैक्टीरिया की मात्रा में हुई बेतहाशा वृद्धि ने सबको चौकाया है।

4000 गुना ज्यादा फीकल कोलिफॉर्म

रिपोर्ट में सबसे खतरनाक आंकड़ा फीकल कोलिफॉर्म (Fecal Coliform) का है, जो यह दर्शाता है कि नदी में कितनी मात्रा में असंशोधित सीवेज (गंदा पानी) मिल रहा है। यह बैक्टीरिया 2500 MPN/100ml की सुरक्षित सीमा से करीब 4000 गुना अधिक मापा गया। ITO ब्रिज पर इसका स्तर 92,00,000 MPN/100ml तक पहुंच गया है। यह सीधे तौर पर नदी में मल-मूत्र युक्त जल के प्रवाह को दर्शाता है।

यमुना में जहर घुला पानी! प्रदूषण से तबाही की ओर यमुना, बैक्टीरिया की सीमा 4000 गुना

BOD स्तर से खुली प्रदूषण की परतें

जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) जो यह दर्शाती है कि पानी में मौजूद जीवित जीवों को जीवित रहने के लिए कितनी ऑक्सीजन चाहिए, वह भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। पल्ला में BOD 8 mg/l है, जबकि CPCB के अनुसार सुरक्षित सीमा 3 mg/l मानी जाती है। आईटीओ और ओखला के बीच BOD 70 mg/l तक दर्ज की गई है, जो नदी में भारी जैविक प्रदूषण को दर्शाता है।

जीवन के लिए खतरा: घुलित ऑक्सीजन में कमी

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नदी में घुलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर भी गिर गया है। मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए यह ऑक्सीजन जरूरी होती है। लगातार बढ़ते सीवेज और प्रदूषण के कारण यमुना का जल जीवन के लिए घातक बनता जा रहा है। इससे दिल्लीवासियों की जल सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

हर महीने बढ़ता खतरा, लेकिन समाधान अभी भी अधूरा

DPCC हर महीने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देश पर यमुना के 8 अलग-अलग स्थानों से जल नमूने लेता है। जुलाई की रिपोर्ट ने यह दिखाया है कि न सिर्फ पिछले महीने की तुलना में बल्कि पिछले साल की तुलना में भी प्रदूषण का स्तर अधिक है। इसके बावजूद, नदी की सफाई के लिए कोई ठोस और प्रभावी कदम ज़मीन पर दिख नहीं रहे हैं।

For Feedback - devendra.abpnews@gmail.com

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment