बिहार में हाल के दिनों में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। हत्या, लूट और गैंगवार जैसी घटनाओं ने आम जनता को डरा दिया है। राज्य की नीतीश कुमार सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर है। जनता के बीच यह सवाल उठ रहा है कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी आखिर कौन निभा रहा है। इसी बीच राज्य के एडीजीपी कुंदन कृष्णन का एक बयान विवादों में आ गया, जिसमें उन्होंने अपराध को फसली सीजन से जोड़ दिया था।
एडीजीपी का बयान और माफी
एडीजीपी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने अपने बयान पर सफाई देते हुए माफी मांगी है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, “मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मेरा उद्देश्य कभी भी किसानों को अपराध से जोड़ना नहीं था। मैं खुद किसान परिवार से हूं और हमारे अन्नदाता का हमेशा सम्मान करता हूं। अगर मेरे शब्दों से किसी की भावना आहत हुई है तो मैं माफी मांगता हूं।”
क्या कहा था एडीजीपी ने?
कुंदन कृष्णन ने कुछ दिन पहले कहा था कि “बिहार में दो प्रमुख फसल सीजन होते हैं। अप्रैल से जून के बीच कोई खेती नहीं होती, जिससे कृषि मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं और इस दौरान ज़मीन विवाद बढ़ते हैं। ऐसे में कुछ युवा अनुबंधित हत्या जैसे अपराधों में लिप्त हो जाते हैं।” इस बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया।
विपक्ष ने साधा निशाना, चिराग ने भी दी प्रतिक्रिया
एडीजीपी के बयान के बाद विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार पर अपराध पर काबू पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया। विपक्ष ने कहा कि सरकार अपनी असफलता का ठीकरा अब किसानों पर फोड़ रही है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी एडीजीपी की आलोचना करते हुए कहा, “किसानों को दोष देना सरासर बचाव की कोशिश है। अगर कोई विफल है तो वह प्रशासन है।”
सरकार के लिए बड़ा संकट बना कानून-व्यवस्था
बिहार में चंदन मिश्रा जैसे कुख्यात अपराधी की अस्पताल में हत्या और अन्य आपराधिक घटनाओं ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। सरकार के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक संकट बन चुका है। विपक्ष इसे जनता से जोड़कर 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है।