केंद्र सरकार ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए सहमति जता दी है। इसके बाद माना जा रहा है कि अगले हफ्ते इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में गंभीर बहस होगी। लोकसभा में इसके लिए 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे तय किए गए हैं। कुल मिलाकर 25 घंटे तक यह अहम मुद्दा संसद की कार्यवाही का केंद्र रहेगा। यह फैसला बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में लिया गया।
विपक्ष की शर्तें और सवाल
विपक्ष की मांग है कि जब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री और गृहमंत्री सदन में मौजूद रहें। हालांकि, सरकार ने बताया है कि प्रधानमंत्री इस सप्ताह विदेश दौरे पर हैं और वे केवल अगले सप्ताह ही चर्चा में शामिल हो सकते हैं। विपक्ष का तर्क है कि इस गंभीर विषय पर इस सप्ताह ही चर्चा होनी चाहिए ताकि देश की जनता को जवाब मिल सके। सरकार पर चर्चा टालने का आरोप भी लगाया गया है।
पहलगाम हमले पर भी हुआ हंगामा
सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर ही नहीं बल्कि पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भी संसद में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष ने इस हमले पर चर्चा की मांग की और सरकार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। हालांकि, सरकार की ओर से यह साफ किया गया कि वह किसी भी समय चर्चा को तैयार है। लेकिन विपक्ष का गुस्सा इस बात पर था कि उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा। इसके साथ ही आयकर बिल, राष्ट्रीय खेल विधेयक और मणिपुर बजट के लिए भी समय तय कर दिया गया है।
पीएम मोदी का संसद से देश को संदेश
संसद सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर से मीडिया के माध्यम से देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह मानसून सत्र भारत की “विजय गाथा” का प्रतीक है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तिरंगा फहराए जाने को गर्व का क्षण बताया और कहा कि पूरे देश को एक स्वर में इसकी सराहना करनी चाहिए। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की भी तारीफ करते हुए कहा कि 22 मिनट में आतंक के सरगनाओं के घर जमींदोज कर दिए गए।
ऑपरेशन सिंदूर: सैन्य ताकत का प्रदर्शन
प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की ताकत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में जो लक्ष्य सेना ने तय किया था उसे 100% सफलता के साथ पूरा किया गया। यह ऑपरेशन आतंकवाद पर भारत की कड़ी नीति का उदाहरण है और देशवासियों के लिए गर्व का विषय भी। अब संसद में होने वाली चर्चा से इस अभियान से जुड़ी और भी कई जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।