मंगलवार की सुबह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तेज़ भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई जो कि काफी शक्तिशाली मानी जाती है। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज़ (GFZ) के अनुसार, भूकंप की गहराई मात्र 10 किलोमीटर थी। इतनी कम गहराई वाला भूकंप ज़मीन पर अधिक असर करता है लेकिन राहत की बात यह रही कि अब तक किसी नुकसान या हताहत की खबर नहीं मिली है।
दहशत में लोग: कांप उठा भरोसे का ज़मीन
भूकंप भले ही कुछ ही सेकंड का होता है लेकिन उसका डर लोगों के मन में लंबे समय तक रहता है। सुबह-सुबह जब लोग नींद में थे तभी धरती के तेज़ झटकों ने उन्हें जगा दिया। हालांकि किसी इमारत को नुकसान नहीं हुआ और न ही किसी की जान गई लेकिन इन झटकों ने एक बार फिर लोगों को सचेत कर दिया है कि अंडमान क्षेत्र भूकंप के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील है।
क्यों बार-बार हिलती है धरती: वैज्ञानिक कारण
धरती की सतह भले ही स्थिर दिखे लेकिन इसके अंदर हमेशा हलचल चलती रहती है। धरती 12 टेक्टॉनिक प्लेट्स पर टिकी हुई है। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं तब ऊर्जा निकलती है और वही ऊर्जा भूकंप का रूप ले लेती है। अंडमान क्षेत्र एक ऐसी जगह है जहां ये प्लेट्स लगातार एक्टिव रहती हैं इसलिए यहां भूकंप सामान्य बात मानी जाती है।
जुलाई में पूरे देश में महसूस हुए झटके
जुलाई का महीना भारत के लिए भूकंप की दृष्टि से काफी सक्रिय रहा है। केवल दिल्ली-एनसीआर में ही इस महीने तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। इसके अलावा गुजरात के कच्छ में भी 22 जुलाई को 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इन घटनाओं ने आम जनता के साथ-साथ विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन विभाग को भी अलर्ट कर दिया है।
आपदा प्रबंधन की तैयारी तेज़
भूकंप की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है। विशेषकर अंडमान जैसे संवेदनशील इलाकों में लगातार भूकंपीय गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही है। जनता से भी अपील की गई है कि वे सतर्क रहें और किसी भी आपात स्थिति में घबराए नहीं। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जनजागरूकता और प्रशिक्षण बेहद ज़रूरी है।