उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने के बाद हालात बेहद खराब हो गए हैं। अचानक आई बाढ़ और मलबे के कारण कई लोग फंस गए हैं। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। हेलीकॉप्टर के माध्यम से लोगों को माटली हेलीपैड तक पहुंचाया जा रहा है। सरकार ने हर स्तर पर लोगों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए खास इंतजाम किए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद कर रहे निगरानी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पूरे रेस्क्यू और राहत अभियान की स्वयं निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सड़क, बिजली, संचार और खाद्य आपूर्ति को जल्द से जल्द बहाल किया जाए। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया है कि सरकार सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
वायुसेना का युद्धस्तर पर राहत कार्य, 20 टन सामग्री पहुंचाई
सेना के साथ-साथ भारतीय वायुसेना भी राहत कार्य में पूरी ताकत से जुटी हुई है। वायुसेना के चिनूक और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टरों के अलावा सी-295 और एएन-32 जैसे परिवहन विमान भी राहत कार्य में शामिल हैं। सड़कों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण वायुसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। अब तक वायुसेना द्वारा 130 राहतकर्मियों को एयरलिफ्ट किया गया है और लगभग 20 टन राहत सामग्री धराली क्षेत्र में पहुंचाई गई है।
9 जवान अब भी लापता, खोज में जुटे खोजी कुत्ते और डॉक्टर
आपदा के बाद पास के गांवों और आर्मी कैंप में शरण लिए लोगों को हेलीकॉप्टर से निकाला जा रहा है। एनडीआरएफ की 69 सदस्यीय टीम, दो खोजी कुत्ते और पशु चिकित्सक भी खोज अभियान में जुटे हैं। सेना के अनुसार अब भी 50 से ज्यादा लोग और 9 सेना के जवान लापता हैं जिनमें एक जूनियर कमीशंड अफसर भी शामिल हैं। राहत दल हर संभव प्रयास कर रहा है कि कोई भी व्यक्ति मलबे में न फंसा रहे।
बारिश बनी रुकावट, हवाई मार्ग से भेजे जा रहे उपकरण
उत्तरकाशी में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने राहत और बचाव कार्य में बड़ी बाधा उत्पन्न की है। कई सड़कें मलबे से जाम हो चुकी हैं और यातायात पूरी तरह ठप है। इसके बावजूद राहत दल कठिन परिस्थितियों में भी प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं। आधुनिक उपकरणों को अब हवाई मार्ग से धराली तक पहुंचाया जा रहा है ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश तेज़ी से की जा सके। सेना और अन्य एजेंसियां मिलकर धराली और हर्षिल में ह्यूमेनिटेरियन असिस्टेंस एंड डिजास्टर रिलीफ (HADR) ऑपरेशन को और अधिक तेज़ कर चुकी हैं।