संपादक की कलम से।। आजादी का अमृतकाल चल रहा है। आज देश स्वतंत्र होने का जश्न मना रहा है। देश को स्वतंत्र हुए कई दशक बीत गए। लेकिन एक समस्या ऐसी है जो जस की तस बनी हुई है। ऐसा नहीं है कि इस समस्या के समाधान पर कभी बात नहीं हुई। या फिर सरकारों ने इसके लिए सख्ती भरे कदम नहीं उठाए। लेकिन फिर भी जिस तरह से हर बार ये परेशानी अपना सिर उठा लेती है। ये तो तय है कि अब तक हुए हर समाधान इसे खत्म करने के लिए नाकाफी हैं और ये समस्या इतने सालों से देश को लगातार खोखला ही कर रही है।
ये समस्या है रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार। आज भ्रष्टाचार रिश्वत की दीमक ने हर किसी को खोखला कर दिया है। एक बाबू से लेकर प्रशासनिक सेवा के अफसर, नेता, मंत्री सब के सब रिश्वत और भ्रष्टाचार में इतने करप्ट हो चुके है। सही क्या है और गलत क्या है, इससे कोई फर्क नही पड़ता, रिश्वत है तो गलत भी सही हो जाता है।
खैर यह एक सिस्टम है जो नीचे से लेकर ऊपर तक जुड़ा है। इसे खत्म करना आसान नही है लेकिन कोसिस करने की जरूरत है। इसके खिलाफ सरकारों, सरकारी विभागों, सरकारी एजेंसियों और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारों के साथ साथ आम लोगों को जगाना बेहद जरूरी है।
ताकि इस सिस्टम को तोड़ कर भ्रष्टाचार से मुक्त भारत का निर्माण किया जा सकें। आप सभी प्यारे देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!
- देवेंद्र पाण्डेय
- लेखक एवं पत्रकार
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