एप्पल ने पहली बार चीन में अपने किसी स्टोर को स्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया है। यह स्टोर डेलियन शहर के झोंगशान इलाके में स्थित पार्कलैंड मॉल में है। कंपनी ने घोषणा की है कि 9 अगस्त को यह स्टोर पूरी तरह बंद हो जाएगा। एप्पल ने कहा कि इस मॉल में लगातार बदलाव हो रहे हैं और कई बड़े ब्रांड्स पहले ही इसे छोड़ चुके हैं। कोच, सैंड्रो और ह्यूगो बॉस जैसे नामचीन ब्रांड्स पहले ही पार्कलैंड मॉल से निकल चुके हैं।
ग्राहकों की खरीदारी में गिरावट बनी वजह
चीन की अर्थव्यवस्था इन दिनों भारी दबाव में है। वहां महंगाई की दर लगातार कम हो रही है और लोगों का खर्च करने का रुझान भी घटा है। इसी वजह से एप्पल की बिक्री भी प्रभावित हुई है। साल 2025 की दूसरी तिमाही में एप्पल की चीन में बिक्री 2.3 प्रतिशत गिरकर 16 अरब डॉलर रही जबकि अनुमान 16.8 अरब डॉलर का था। यह गिरावट कंपनी को चीन में अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने को मजबूर कर रही है।
अन्य स्टोर रहेंगे चालू, कर्मचारियों को किया जाएगा स्थानांतरित
हालांकि एप्पल ने स्पष्ट किया है कि वह चीन में ग्राहकों को बेहतर अनुभव देना जारी रखेगा। चीन में एप्पल के कुल 56 स्टोर हैं जो उसके वैश्विक रिटेल का करीब 10 प्रतिशत हैं। डेलियन में ही ओलंपिया 66 मॉल में स्थित एक और स्टोर पहले की तरह चलता रहेगा। पार्कलैंड मॉल में काम करने वाले कर्मचारियों को पास के स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाएगा क्योंकि दोनों स्टोर्स के बीच की दूरी सिर्फ 10 मिनट है।
भारत बना नया केंद्र, एप्पल की नई रणनीति
एप्पल अब भारत पर ज़्यादा फोकस कर रहा है। भारत अमेरिका को भेजे जाने वाले स्मार्टफोन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। साल 2025 की दूसरी तिमाही में अमेरिका को भेजे गए स्मार्टफोन्स में भारत की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत तक पहुंच गई है जबकि एक साल पहले ये सिर्फ 13 प्रतिशत थी। एप्पल भारत में iPhone 16 सीरीज़ के Pro मॉडल भी बना रहा है जिन्हें अमेरिका में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।
चीन के बाहर बढ़ रहा है एप्पल का नेटवर्क
एप्पल अब चीन के बाहर अपने रिटेल नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। कंपनी 16 अगस्त को शेनझेन के युनिवॉक क्यानहाई में एक नया स्टोर खोलने जा रही है। इसके अलावा बीजिंग और शंघाई में भी स्टोर्स खोलने की योजना पर काम हो रहा है। इस साल की शुरुआत में एप्पल ने अनहुई प्रांत में भी एक नया स्टोर खोला था। ये बदलाव कंपनी की वैश्विक रणनीति का हिस्सा हैं जिसमें चीन की निर्भरता घटाई जा रही है।