मध्य प्रदेश में 2200 करोड़ की ठगी, STF जांच में नए खुलासे!

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मध्य प्रदेश में 2200 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी ठगी की एसटीएफ की जाँच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ठगों का यह गिरोह विदेशी मुद्रा लेनदेन और ज़्यादा रिटर्न के नाम पर लोगों को ठगता था। मुज़फ़्फ़रनगर निवासी मुख्य सरगना नवाब खान उर्फ़ रफ़ीक खान उर्फ़ लवीश चौधरी दुबई भाग गया और वहाँ से हवाला के ज़रिए भारत में पैसा भेजकर गिरोह चलाता था।

एसटीएफ की कार्रवाई के बाद, जब पुरानी वेबसाइट बंद हो गई, तो ठगों ने विदेश से नई वेबसाइट बनाकर निवेशकों को लिंक भेजे। लोगों को बॉटब्रो अल्फा और मेटा 5टी जैसे रोबोटिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के नाम पर 6-8% मासिक रिटर्न का लालच दिया गया।

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9 महीने में 30-32 अरब रुपये का खेल

जांच में पता चला है कि इस गिरोह ने 9 महीने में 30-32 अरब रुपये का खेल खेला, जिसमें पैसों को 28 बैंक खातों में रणनीतिक रूप से ट्रांसफर किया गया ताकि उनका पता लगाना मुश्किल हो।

आरोपियों ने 10 फ़र्ज़ी कंपनियाँ बनाकर निवेश किया। एसटीएफ ने 145 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और 262 लेनदेन को ब्लॉक कर दिया है, जिनमें से 1.88 अरब रुपये जब्त किए गए हैं। एसटीएफ की टीमों ने ओडिशा, दिल्ली और हरियाणा में छापेमारी की है। देश भर में 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें असम में 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला भी शामिल है।

ED ने FEMA के तहत मामला दर्ज किया

ईडी ने FEMA के तहत मामला दर्ज किया है और खुलासा किया है कि डिजिटल लेनदेन और अन्य साइबर अपराधों से करोड़ों रुपये भी इन खातों में ट्रांसफर किए गए थे। 22 जून को मध्य प्रदेश एटीएस ने मामला दर्ज किया था, जिसमें दो आरोपियों मदन मोहन कुमार और दीपक शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। यह गिरोह टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए निवेशकों को निश्चित और उच्च रिटर्न का लालच देकर ठगता था।

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देवेन्द्र पाण्डेय "संपादक"

ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोभूमि सिंगरौली की पावन धरा से निकला. पठन-पाठन से प्यार था लिहाजा पत्रकारिता से बेहतर पेशा कोई और लगा नहीं. अखबार से शुरु हुआ सफर टीवी और डिजिटल मीडिया के माध्यम में जारी है. इस दौरान करीब 14 साल गुजर गए पता ही नहीं चला. Read More
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