मालेगांव बम धमाके पर एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का बयान सबको चौंकाने वाला रहा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्होंने कभी ‘हिंदू आतंकवाद’ या ‘भगवा आतंकवाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि न ही कांग्रेस पार्टी ने ऐसा कोई शब्द गढ़ा है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब लंबे समय से भाजपा उन्हें इन्हीं बयानों को लेकर निशाना बनाती रही है। अब जब उनके बेटे और कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने भी कहा है कि “आतंकवाद की कोई जाति या धर्म नहीं होता”, तो दिग्विजय सिंह उनके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक समीकरण और युवाओं की भावना को साधने की कोशिश
इस बयान को कांग्रेस के ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी तरह का विवाद टालना चाहते हैं। बीते कुछ वर्षों में युवाओं के बीच सनातन धर्म के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए जयवर्धन सिंह ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहते जिससे युवाओं की भावनाएं आहत हों। यही कारण है कि उन्होंने धर्म और आतंकवाद को अलग-अलग रखने की बात कही और दिग्विजय सिंह ने भी उससे सहमति जताई। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के आंतरिक समीकरण भी इस बदलाव का कारण हो सकते हैं।
धर्म के राजनीतिक इस्तेमाल का विरोध और नई राजनीति की तैयारी
दिग्विजय सिंह का यह रुख ऐसे युवाओं को भी आकर्षित कर सकता है जो धर्म में आस्था रखते हैं, लेकिन धर्म के राजनीतिक इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हैं। आज हर धर्म में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो चाहता है कि धर्म को राजनीति से दूर रखा जाए। ऐसे में यह बयान इस वर्ग को साधने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही, राजगढ़ लोकसभा सीट, जिसे कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, 2024 में बीजेपी के कब्जे में चली गई है। यदि दिग्विजय सिंह भगवा विरोध की लाइन पर चलते रहते, तो संभव था कि इसका असर उनके बेटे की राजनीतिक पकड़ पर भी पड़ता, खासकर उनके गृहनगर राघौगढ़ में।
हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर बीजेपी का तीखा हमला
एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर और विशेष रूप से दिग्विजय सिंह पर तीखा हमला बोला है। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में जिन लोगों पर ‘हिंदू आतंकवाद’ का आरोप था, उन्हें अदालत ने बरी कर दिया है। इससे यह सिद्ध हो गया है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसी कोई चीज न कभी थी, न है और न होगी। राकेश सिंह ने कहा कि यह थ्योरी पूरी तरह से झूठ पर आधारित थी और अब अदालत के फैसले ने इसे पूरी तरह नकार दिया है। अब कांग्रेस पर दबाव है कि वह स्पष्ट करे कि वह दिग्विजय सिंह के पुराने बयानों के साथ है या अब उनके बदले हुए रुख को समर्थन देती है।