मालेगांव बम धमाकों के केस में हाल ही में आरोपियों को कोर्ट से बरी कर दिया गया है। इसके बाद अब जांच अधिकारियों की असली तस्वीर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि जांच के दौरान कुछ अफसरों ने झूठी गवाही दिलवाने के लिए गवाहों पर दबाव बनाया था। खासतौर पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ बयान दिलवाने की पूरी कोशिश की गई थी।
साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ बनवाना चाहते थे गवाह
जब महाराष्ट्र एटीएस ने गुजरात से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को पकड़ा था तो उन्होंने दावा किया कि बम जिस बाइक में रखा गया था वह उनके नाम पर रजिस्टर्ड थी। यह बाइक इंदौर के पलासिया इलाके में रिपेयर करवाई गई थी। इसके बाद ATS की टीम वहां पहुंची और एक मैकेनिक जितेंद्र शर्मा को पूछताछ के लिए उठाया। उससे कहा गया कि वह साध्वी का नाम ले और गवाही में उसका नाम शामिल करे।
झूठी गवाही के लिए धमकी और लालच दोनों
जितेंद्र शर्मा का कहना है कि ATS के लोग लगातार उसे कॉल करते थे और धमकी देते थे कि साध्वी प्रज्ञा का नाम ले लो। इतना ही नहीं उसे सरकारी गवाह बनाने का लालच भी दिया गया। उन्होंने उसे धमकाया भी और लालच भी दिया कि अगर वह साध्वी का नाम लेता है तो उसे फायदा होगा। इससे साफ जाहिर होता है कि जांच की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल है।
घर पर पोस्टमैन और सब्जीवाले बनकर आते थे अधिकारी
इस केस में केवल साध्वी प्रज्ञा ही नहीं बल्कि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत कई और लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें संदीप डांगे और रामजी कालसांगरा को फरार बताया गया था। संदीप ने एसजीएसआईटी से इंजीनियरिंग की थी और उन पर बम बनाने का आरोप था। उनके पिता विश्वास डांगे ने बताया कि एटीएस के अधिकारी कभी पोस्टमैन तो कभी सब्जीवाले बनकर घर आते थे और पूछताछ करते थे। रामजी के घर की भी 50 बार तलाशी ली गई।