मध्य प्रदेश के रायसेन जिले को रविवार (10 अगस्त) को करोड़ों का तोहफ़ा मिला। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य गणमान्य अतिथियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उमरिया में आधुनिक रेल कोच निर्माण के लिए ‘ब्रह्मा प्रोजेक्ट’ की आधारशिला रखी। यह परियोजना बीईएमएल (BEML) द्वारा स्थापित की जा रही है और इस पर 1800 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस मौके पर बीईएमएल रेल हब के निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कंपनी के अध्यक्ष एवं सीएमडी श्री शंतनु राय ने बताया कि बीईएमएल ने पिछले 61 वर्षों में रेल, खनन और रक्षा क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
BEML की दूसरी रेल कोच यूनिट उमरिया में
BEML की शुरुआत वर्ष 1964 में हुई थी और यह कंपनी रक्षा, रेल और खनन क्षेत्रों में काम करती है। इसका मेट्रो रेल कोच यूनिट बेंगलुरु में पहले से संचालित है। अब बेंगलुरु के बाद, उमरिया में बीईएमएल की दूसरी रेलवे रोलिंग स्टॉक यूनिट स्थापित की जा रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि अगले 18 महीनों में यहां से पहला रेल कोच तैयार कर निकाला जाए। कार्यक्रम के दौरान रक्षा और रेल क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में बने नए रिकॉर्ड की भी चर्चा हुई।
रेल मंत्री ने गिनाईं विकास की उपलब्धियां
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारतीय रेल ने अभूतपूर्व प्रगति की है। पिछले 11 वर्षों में 35 हजार किलोमीटर नई पटरियां बिछाई गई हैं और 51 हजार किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण किया गया है। हल्के वज़न वाले कोच के साथ 40 हजार से अधिक कोचों को अपग्रेड किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘ब्रहमा प्रोजेक्ट’ इस विकास श्रृंखला में एक नया मोती जोड़ेगा। यह पीएम मोदी के ‘स्वदेशी’ संकल्प और ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण का उदाहरण है। इस फैक्ट्री से 5000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और मध्य प्रदेश रेलवे निर्माण व निर्यात का केंद्र बनेगा।
ब्रहमा प्रोजेक्ट से जुड़ी विशेषताएं
कार्यक्रम में ‘ब्रहमा प्रोजेक्ट’ पर आधारित एक लघु फ़िल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसमें परियोजना की महत्वाकांक्षी रूपरेखा और उसके आर्थिक-सामाजिक लाभों को दिखाया गया। 148 एकड़ में बनने वाली यह बीईएमएल यूनिट हाईवे, रेल और हवाई मार्ग से सीधे जुड़ी होगी, जिससे कोच के निर्माण, आपूर्ति और निर्यात में आसानी होगी। अधिकारियों का मानना है कि इस परियोजना से न सिर्फ रेलवे क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि प्रदेश की औद्योगिक छवि भी मजबूत होगी। आने वाले समय में यहां से तैयार होने वाले आधुनिक रेल कोच देश और विदेश दोनों में सप्लाई किए जाएंगे, जिससे भारत का रेल निर्माण क्षेत्र वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाएगा।