मौलाना साजिद रशीदी जो ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं उन्होंने एक टीवी डिबेट के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव पर विवादित टिप्पणी कर दी। डिबेट का विषय संसद मार्ग की एक मस्जिद में हुई सपा की मीटिंग था जिसमें अखिलेश यादव डिंपल यादव और इक़रा हसन जैसे नेता मौजूद थे। इसी चर्चा के दौरान मौलाना ने डिंपल यादव के कपड़ों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी जिससे देशभर में गुस्से की लहर फैल गई।
संसद में हुआ विरोध प्रदर्शन
मौलाना के बयान के बाद एनडीए सांसदों ने संसद परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं की गरिमा और एक निर्वाचित महिला सांसद के सम्मान के खिलाफ की गई इस टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसदों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। विरोध प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी भी हुई और मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई।
केस दर्ज होने से बढ़ीं रशीदी की मुश्किलें
इस पूरे विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया जब मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ आधिकारिक तौर पर केस दर्ज हो गया। सोशल मीडिया पर लोग उनके बयान की जमकर निंदा कर रहे हैं। खासकर महिलाएं इस तरह के सोच और भाषा को महिला विरोधी बता रही हैं। केस दर्ज होने के बाद अब उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू हो सकती है जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
बीजेपी ने उठाए सपा और अखिलेश पर सवाल
इस मामले में भाजपा सांसद बंसुरी स्वराज ने सवाल उठाए कि आखिर डिंपल यादव के पति और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब तक चुप क्यों हैं। उन्होंने कहा कि जब एक महिला सांसद के सम्मान पर हमला होता है तो उसके पति और पार्टी दोनों की चुप्पी क्या “मौनं लगु: लक्षणम्” की पुष्टि नहीं करती। उन्होंने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कहा कि महिलाओं के सम्मान से ऊपर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
समाज में बढ़ती कट्टरता पर चिंता
इस तरह के बयान सिर्फ राजनीतिक विवाद नहीं खड़े करते बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सोच को भी उजागर करते हैं। जब एक महिला सांसद को उसके कपड़ों के आधार पर निशाना बनाया जाता है तो यह दर्शाता है कि मानसिकता कितनी पिछड़ी हुई है। अब जरूरत इस बात की है कि हर पार्टी और नेता इस मुद्दे पर एकजुट होकर खड़े हों ताकि किसी भी महिला को इस तरह की टिप्पणियों का शिकार न बनना पड़े।